शरद यादव बाकि सांसदों की तरह ही, भ्रष्ट और बेईमान है, उनका अन्ना के लिए दिया बयान भी निंदनीय था, मगर है तो वे भी इनसान, गलती कर ही बैठते है, और गलती से कभी कभी कोई अच्छी बात कह देते है. राष्ट्रपति और राज्यपाल बेचारे निरीह बेजुबान प्राणी होते है. और जब तक आंध्र के भूतपूर्व राज्यपाल N D तिवारी की तरह संन्यास की उम्र में चार धाम के बजाय खजुराहो की यात्रा न करले, उन्हें हटाया नहीं जाता, बस हांका जाता है.
भाई हमारा सुझाव तो यह है की, राष्ट्रपति बनाया जाय, प्रधानमन्त्री के पार्टी अध्यक्ष को, इससे दो फायदे होंगे, एक तो राष्ट्रपति के पास पार्टी व्हिप के नाम पर हाकने की ताकत होंगी, तो दूसरी तरफ उसका कोई सवेधानिक पद मिल जाएगा, परदे के पीछे छुप कर काम करने की जरुरत नहीं रहेगी. जनता भी ये सोच के खुश हो जाएँगी की रिमोट कंट्रोल के सर पे इतना काम है की वोह बात बात पे PM को हांक नहीं पाएगी. तो कुल मिलाकर सब खुश.
राज्यपाल के पद को खतम करके सिर्फ लोकायुक्त बना दिए जाए , भाई काम तो दोनों का ही राज्य सरकार के कामकाज की समीक्षा है, तो फिर क्यों न एक ऐसे व्यक्ति को लाया जाय, जिससे आम आदमी जाकर गुहार कर सके, अपना दुखड़ा सुना सके.
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