Friday, September 23, 2011

समसामयिक

ND तीवारी की कोर्ट ने अच्छी खिचाई की, पर मुझे लगता है की अगर उनका ब्लड सेम्पल मिल जाता तो कई कोठे पर बैठी तवायफ़ों के बच्चो को बाप मिल जाता. आखिर ये अनैतिक व्यक्ति आंध्र राजभवन में ३ तिन कॉलगर्ल्स के साथ पाया गया था, अगर ८५ साल की उम्र में इनका यह हाल था तो उत्ताराखंड के मुख्यमंत्री रहतें हुए तो उन्होंने गजब ढाया होंगा, बस एक बार के ब्लड सेम्पल से ही हजारों टेस्ट लग सकते थे.
 सावन के अंधे, जिन्हें सब हरा ही हरा नजर आता है
India busy on Idea 3G , so no आबादी; government busy on camouflaging 2G , so no गरीबी.
हा हा अब तो मेरा हिन्दुस्तान प्रगति पथ पर है.
विजन २०२०:
२००५ :जो दो वक्त का खाना न खा सके वो गरीब
२०११: जो एक वक्त का खाना खा सके वो गरीब नहीं,
२०१२:जो किसी सरकार विरोधी आन्दोलन में हिस्सा ले वो गरीब नहीं
अन्ना के आन्दोलन का खर्चा सरकार ने तो उठाया नहीं, वो तो आन्दोलन करने वालो ने खुद उठाया. अब जिनके पास इस तरह के आन्दोलन में खर्च करने को पैसा है वोह गरीब कैसे हो सकते है?
२०१५ :जिसके पास हो बैंक में खाता वोह गरीब नहीं,
सरकार छात्रो के जीरो बलेंस खाते खुला रही है, गणवेश की  सब्सिडी देने के नाम पर, कल कहेगी सब्सिडी दी पढाई हो गई अब कैसी गरीबी? खाता है, मतलब जरुरत से ज्यादा पैसे है, तो फिर गरीब कैसे?
२०२०:  जो दिन में एक बार मोबाइल फोन से बात करे वो गरीब नहीं कहलायेगा.
 मोबाइल टैरिफ वार में एक दिन सब के पास मोबाइल पहुच जाएगा और फिर दिन के एक कॉल का खर्चा सरकार सब्सिडी के रूप में देंगी, और एक कॉल मोबाइल कंपनी फ्री देंगी. सरकार  कहेगी की जो इन दोनों काल्स का उपयोग  करेगा उसे गरीब नहीं माना जाएगा! क्योंकि गरीब होगा तो उसके पास बात करने की फुर्सत कहाँ से आई?

यह है सरकार का विजन २०२०. २०२० में गरीबी एकदम ख़तम.

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