Wednesday, September 28, 2011

समानता-विडम्बना

क्या कभी आपने सोचा है की पाकिस्तानी क्रिकेटरों और हिन्दुस्तानी नेताओ के बिच, क्या समानता है? दोनों जगह भुतपूर्व क्रिकेटर नेता बन जाते है लेकिन यहाँ हम उनकी बात नहीं कर रहे है, बल्कि क्रिकेटरों से प्रेरित राजनीती की बात कर रहे है,
बयान:
(१)  मैं सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास लेता हूँ

कुछ महीने बाद: मेने काफी सोच विचार किया और मेरे टीम के सदस्यों की सलाह से इस नतीजे पर पहुचा की मुझमे अभी बहुत क्रिकेट बाकी है और मैं अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में चयन के लिए उपलब्ध हूँ
(१’) मैंने अन्तरात्मा की आवाज पे पार्टी/पद से इस्तीफा दे दिया है

कुछ महीने बाद: जनता और मित्रों के अनुरोध पर मैं देश हित में अपना इस्तीफा वापिस लेता हूँ

आरोप:
(२) बाल टेम्परिंग:

बेशर्मी: इस तरह से गेंद के साथ हुई छेड़छाड़ को कानून बनाकर वैध बनाया जाय, इससे क्रिकेट का विकास होंगा. पूरी गेंद के साथ खेलने से क्रिकेट बोरिंग/नीरस हो जाएगा  

(२’) बिल टेम्परिंग:

बेशर्मी: इस बिल को जल्द से जल्द कानून बनाया जाय, हमने बिल में आवश्यक परिवर्तन कर लोकतंत्र को मजबूत बनाया है. पूर्ण बिल को स्वीकार करने से सविधान का अपमान होंगा.
रिश्वतखोरी
(३) नो बाल के लिए डॉलर्स: कौन सी बाल कैसी डालना है यह सब आपके पैसो पर निर्भर करेगा
(३’) नो कॉन्फिडेंस मोशन के लिए डॉलर्स: कौन से प्रस्ताव पर कैसे मत देना है ये आपके पैसो पर निर्भर करेगा.

निष्कर्ष: मलिक, सामी, आसिफ, आमेर, अख्तर, आफरीदी आदि पाक खिलाडियों को भारत रत्न दिया जाए इन्होने भारतीय लोकतंत्र की बड़ी सेवा की है.

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