कभी वीरान खंडहरों में रहा
करने वाले भुतो के आजकल अच्छे दिन आ गए है और वो आजकल हवेलियों पे रहने और
बुलाने लगे हैं, ऐसे ही
आधुनिक भूतो को समर्पित चन्द पंक्तियाँ |
आओ कभी
पतीली पे
ओ तेरे संग यारा,
मै लाइफ बनारा;
तू रात डरानी,
मै मरघट सा सन्नाटा|
ओ मैने बदन पकाया हैं,
तुझे खाने पे जो बुलाया हैं,
तुझपे मरके ही,
तो मुझे भूत बनना आया हैं|
ओ तेरे संग यारा,
मै लाइफ बनारा;
तू रात डरानी,
मै मरघट सा सन्नाटा|
ओ कितने पापड़ बेले,
ओ कितना पसीना बहाया;
तुझे मस्का लगाने के वास्ते,
मैने कितनो को टपकाया|
ओ तुझसे मिलने को,
मैने पार्टी का मूड बनाया;
ताज़ा शिकार का भी,
मैने जुगाड़ लगाया |
ओ तेरे संग यारा,
मै लाइफ बनारा;
नरक से भी मुर्दे उठा आऊँ,
जो तू करदे इशारा |
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