यह पोस्ट मेरी लम्बे समय तक मेरी आखरी पोस्ट रहेगी में ब्लॉग जगत में फिर आऊंगा "नीलम दी चिम्प " के नाम से मगर तब तक के लिये आज्ञा चाहूँगा (वाह रे ब्लॉग जगत जब लिखता था तो कोई झाकने नहीं आया अब देखता हूँ तो 3 लोग देख रहे है मेरे बंद पड़े ब्लॉग को। वैसे भीड़ से मुझे बचपन से ही डर लगता हैं और मेरा श्रेष्ठ कार्य गुपचुप ही होता है।)
पुनर्जन्म का विचार मूल रूप से तो हिन्दू धर्म से आया है , परन्तु आजकल विदेशियों में भी इसका प्रभाव बड रहा है, कुछ दिनों पहले हमारे यहाँ पुनर्जन्म पर एक धारावाहिक भी प्रसारित हुआ था जो की विदेशी कार्यक्रम की नक़ल था। हमने उनकी नक़ल की या उन्होंने हमारी, लेकिन जरा सोचिये अगर हम पुनर्जन्म के विचार फैला दे, तो दुनिया कितनी सुन्दर हो जायेंगी, गरीब और अमीर के भेद मिट जायेंगे, आप इस जन्म में अमीर हो सकते है लेकिन पिच्छले जन्म के आपके साथी, आपके वंशज अब भी गरीब हो सकते है , आप इस जन्म में पुरुष है तो पिछले जन्म में स्त्री भी हो सकते है, आप इस जन्म में हिन्दू है लेकिन हो सकता हैं की दुनिया के किसी कोने में आपको सिने से लगाने वाली आपकी पिछले जन्म की माँ कही किसी चर्च में प्रार्थना कर रही हो। कितनी समदर्शी हो जायेंगी ऐसी दुनिया, मगर विचार कीजिये की ये पिछले जन्म की घटनाए हमसे छुपायी ही क्यों जाती हैं? शायद हमारा अपराध बोध छुपाने के लिये, या शायद इसलिए की हमारे जीवन का मूल उद्देश्य ही हमसे दूर हो जाएगा, हम जीवन की किसी भी गहराई को समझने का प्रयास ही बंद कर देंगे, समाज से हमारा लगाव ख़त्म हो जायेंगा। (क्योंकि हम ये ही नहीं सोच पायेंगे की हम किस समाज का हिस्सा हैं , हमारा पिता कौन हैं माता कौन हैं)। इस तरह से देखा जाय तो जो युवा लोग तपस्या के लिये घर छोड़ देते है वोह अपने जीवन का कुछ उद्देश्य ही अधुरा छोड़ देते हैं। तब इन्हें मुक्ति कैसे मिल सकती है? इस लिहाज से हिन्दू आश्रम व्यवस्था ही उपयुक्त प्रतीत होती है, तपस्या/संन्यास के लिए आयु निर्धारित होनी चाहिए. जो स्व्यम ही अपना जीवन अधूरा छोड़ गया वोह आपके जीवन को कैसे सवारेंगा?
ईन सबसे इतर है पुनर्जन्म पर विश्वास करना, हम पिछला जनम देख पाये या ना देख पाये इस पर विश्वास ही कराले तो शायद हमारे देश में जो नॉर्थ इंडियन साउथ इंडियन का झगड़ा है या महाराष्ट्र में ठाकरे कि दादागिरी है वोह खत्म हो जायेंगि, मेरी भगवान से प्रार्थना हैं कि कोई बाल ठाकरे को पिछले जनम में ले जाए और आइना दिखाये उन्हें.
nice......
ReplyDeleteTippanikaaro dhanyavaad, magar kshama chahunga, swagat uska hota hai jo aa raha ho. lekin me to ja raha hun, jab tak mere nam ke aage aap chimpanzi laga hua na dekhe, tab tak me blog jagat me dubaara post nahi daal raha hounga
ReplyDeleteNilam
nice idea ki bal thakre ko pichala janam dikhaye
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