तसलीमा नसरीन और सलमान रुश्दी को बोलने की अनुमति नहीं देने वाला भ्रष्ट तंत्र ये मान चूका था की स्वामी बडबोलापन दिखा कर राजनितिक आत्महत्या कर चुके है और अब जो बचा है वो उनका भुत/भूतकाल है. वहि दूसरी तरफ सडगल चूका हमारा अपराधिक प्रवृति को शरण देने वाला सरकारी तंत्र मृतप्राय हो चूका है. ऐसे मृत तंत्र में खलबली मचा देने वाला सुप्रीम कोर्ट एक ओझा के समान है, और इन्ही को मेरा यह पहला कार्टून समर्पित है
भारत में लोकतंत्र की कबर खुद गई है ????? |
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