Sunday, September 12, 2010

भक्ति का पतन 1

पता नहीं इस गणेश चतुर्थी पर कितने फिट ऊँची प्रतिमाये स्थापित हुई होंगी। लेकिन एक बात तो तय है, की मूर्ति जीतनी ऊँची होंगी भक्ति का स्तर उतना निचा गिरेगा। भक्ति इश्वर प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है किन्तु, इश्वर तक पहुचने के लिये अहंकार और स्वार्थ को गलाना पड़ता है, गणेश पांडाल ऊँची मूर्तिया स्थापित कर, यह अहंकार पालते हैं की उनकी मूर्ति पडोसी पांडाल से ज्यादा बड़ी है! क्या आप भक्ति को नाप सकते है? भक्ति का तो मूल ही है की सब कुछ तू है, मेरा कुछ नहीं, फिर अहंकार और दिखावा क्यों? क्या बड़ी मूर्ति बनाने से गणेशजी प्रसन्न हो जायेंगे? आप पूरी पृथ्वी जितना बड़ा पांडाल भी बना दे तो भी आप गणपति के आगे तो गौण ही रहेंगे, तो उनके उन भक्तो को नीचा क्यों दिखाना चाहते है जो आपके पड़ोस में पूजा कर रहा है?

3 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा आपने।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  2. नीलम जी ,

    आपने पूछा है कि क्या कट पेस्ट कर जो टिप्पणी कि गयी है वो क्या महत्त्व रखती है ???????

    यह एक सूचना है कि आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर ली जा रही है जहाँ से लोंग लिंक्स देख कर विभिन्न ब्लॉग पर जाते हैं ...वंदना जी ने आपको सूचना दी है ...और जितने भी ब्लोग्स के लिंक आज कि चर्चा में शामिल हैं सब जगह यही सूचना दी गयी होगी ...हर जगह सूचित करने के लिए अलग अलग टाइप करना आसान नहीं है ...और आसान तो ब्लोग्स को देख कर लिंक्स उठाना भी नहीं है ...आशा है आपकी समस्या का समाधान हुआ होगा ...

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  3. Mahabodhi temple Mahabodhi Vihar or Mahabodhi Tree is a famous Buddhist vihara located in Land of Gautam Buddha Bodh Gaya. Listed in World Heritage by UNESCO.

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