Wednesday, October 10, 2012

असुरदास पार्ट II

बहुत दिनों तक छाती पीटी, बहुत दिनों तक रह लिए उदास;
तोड़ के अपनी ग़म  की समाधी, लौट आये नीलम असुरदास।

चाहते न चाहते जीवन एक नई  करवट ले रहा है, हर चोट जीवन की दिशा धारा नहीं बदल सकती लेकिन जीवन का झरना बड़ी बाधाओ के आने पर , अपने नए रस्ते खुद बखुद बना लेता है, मेरा जीवन भी बदलता रह हैं और शायद आगे भी रहेगा, और अब मै  खुद को कविताओ के अधिक और अधिक  निकट पा रहा हूँ , शायद इस ब्लॉग पर मेरी लेखनी अब कम  चलेगी, क्योकि अब में अपने कविताओ और हास्य कविताओ के लिए बनाये गए ब्लॉग "फिश मार खां"(fish-mar-khan.blogspot.in) पर अधिक सक्रिय रहूँगा।
इस ब्लॉग पर भी कभी कभी कुछ पोस्ट डालने के प्रयास किया करूँगा, मेरी कई रचनाये इस ब्लॉग पर अधूरी ही पड़ी है, और वक्त आने पर उन्हें एडिट कर पोस्ट तो करूँगा ही, लेकिन इस समय विदाइ लेनी  ही होंगी ।

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