Tuesday, September 4, 2018

आओ कभी पतीली पे

कभी वीरान खंडहरों में रहा करने वाले भुतो के आजकल अच्छे दिन आ गए है और वो  आजकल हवेलियों पे रहने और बुलाने लगे हैंऐसे ही आधुनिक भूतो को समर्पित चन्द पंक्तियाँ


आओ कभी पतीली पे
   
    ओ तेरे संग यारा,
    मै लाइफ बनारा
    तू रात डरानी,
    मै मरघट सा सन्नाटा|
ओ मैने बदन पकाया हैं,
तुझे खाने पे जो बुलाया हैं,
तुझपे मरके ही,
तो मुझे भूत बनना आया हैं|
    ओ तेरे संग यारा,
    मै लाइफ बनारा
    तू रात डरानी,
    मै मरघट सा सन्नाटा|
ओ कितने पापड़ बेले,
ओ कितना पसीना बहाया;
तुझे मस्का लगाने के वास्ते,
मैने कितनो को टपकाया|

ओ तुझसे मिलने को,
मैने पार्टी का मूड बनाया;
ताज़ा शिकार का भी,
मैने जुगाड़ लगाया |
    ओ तेरे संग यारा,
    मै लाइफ बनारा;
    नरक से भी मुर्दे उठा आऊँ,

    जो तू करदे इशारा |