निलम गावत देखके मेलोडीज
करी पुकार;
बहुत हो गया तोहरा बेसुरा आयटम
सोंग, कब आएगी हमारी बार |
निलम कनक ते सौ गुनी मादकता
अधिकाय
या खावै अकेला बोराय, वा
गावै सैकड़ो बोराय |
निलम-नीलाम गुलाम ते दो
कौड़ी भी अधिक नाय;
या रोवै भीख में लोग माल दई जाय; वा गावै माल छोड़ी के लोग भागी जाय |
या रोवै भीख में लोग माल दई जाय; वा गावै माल छोड़ी के लोग भागी जाय |